Best Romantic Love Shayari Collection 2020 by well known popular known – unknown Hindi Shayar.
Two line Love Shayari in Hindi
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह।
अना कहती है इल्तेजा क्या करनी,
वो मोहब्बत ही क्या जो मिन्नतों से मिले।
वो रख ले कहीं अपने पास हमें कैद करके,
काश कि हमसे कोई ऐसा गुनाह हो जाये।
जन्नत-ए-इश्क में हर बात अजीब होती है,
किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है।
बहुत नायाब होते हैं जिन्हें हम अपना कहते हैं,
चलो तुमको इज़ाजत है कि तुम अनमोल हो जाओ।
छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर,
ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं।
मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो,
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं है।
किसी से प्यार करो और तजुर्बा कर लो,
ये रोग ऐसा है जिसमें दवा नहीं लगती।
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें,
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं।
दिल में ना हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती।
कभी तुम आ जाओ ख्यालों में और मुस्कुरा दूँ मैं,
इसे गर इश्क़ कहते हैं तो हाँ मुझे इश्क़ है तुमसे।
तेरे ख्याल में जब बेख्याल होता हूँ,
जरा सी देर को ही सही बेमिसाल होता हूँ।
खुलता नहीं है हाल किसी पर कहे बग़ैर,
पर दिल की जान लेते हैं दिलबर कहे बग़ैर।
आँखों के रास्ते मेरे दिल में उतर गये,
बंदा-नवाज़ आप तो हद से गुज़र गये।
खयालों में उसके मैंने बिता दी ज़िंदगी सारी,
इबादत कर नहीं पाया खुदा नाराज़ मत होना।
मुहब्बत मेरी भी बहुत असर करती है,
याद आएंगे बहुत जरा भूल के देखो।
सदियों का रतजगा मेरी रातों में आ गया,
मैं एक हसीन शख्स की बातों में आ गया।
मोहब्बत एक खुशबू है हमेशा साथ रहती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी कभी तन्हा नहीं रहता।
मोहब्बत क्या है चलो दो लफ़्ज़ों में बताते हैं,
तेरा मजबूर करना और मेरा मजबूर हो जाना।
इक तेरी तमन्ना ने कुछ ऐसा नवाज़ा है,
माँगी ही नहीं जाती अब कोई और दुआ हमसे।
इन्कार जैसी लज्जत इक़रार में कहाँ,
बढ़ता रहा इश्क ग़ालिब उसकी नहीं-नहीं से।
खुदा से मांगते तो मुद्दतें गुजर गयीं,
क्यूँ न मैं आज उसको उसी से माँग लूँ।
रूबरू मिलने का मौका मिलता नहीं है रोज,
इसलिए लफ्ज़ों से तुमको छू लिया मैंने।
दिल में आहट सी हुई रूह में दस्तक गूँजी,
किस की खुशबू ये मुझे मेरे सिरहाने आई।
उँगलियाँ मेरी वफ़ा पर न उठाना लोगों,
जिसको शक हो वो मुझसे निबाह कर देखे।
इजहार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उनका,
आँखें तो रज़ामंद हैं लब सोच रहे हैं।
चाहत हुई किसी से तो फिर बेइन्तेहाँ हुई,
चाहा तो चाहतों की हद से गुजर गए,
हमने खुदा से कुछ भी न माँगा मगर उसे,
माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये।
कुछ ख़ास जानना है तो प्यार कर के देखो,
अपनी आँखों में किसी को उतार कर के देखो,
चोट उनको लगेगी आँसू तुम्हें आ जायेंगे,
ये एहसास जानना है तो दिल हार कर के देखो।
मोहब्बत नाम है जिसका वो ऐसी क़ैद है यारों,
कि उम्रें बीत जाती हैं सजा पूरी नहीं होती।
न जाहिर हुई तुमसे और न ही बयान हुई हमसे,
बस सुलझी हुई आँखो में उलझी रही मोहब्बत।
आरजू ये है कि इज़हार-ए-मोहब्बत कर दें,
अल्फाज़ चुनते है तो लम्हात बदल जाते हैं।
इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या,
आगे आगे देखिए होता है क्या।
लोगों ने रोज ही नया कुछ माँगा खुदा से,
एक हम ही हैं जो तेरे ख्याल से आगे न गये।
जी करता है उसे मुफ्त में जान दे दूँ,
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना।
राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर,
कितनी खामोश मोहब्बत की जुबान होती है।
कोई रिश्ता जो न होता, तो वो खफा क्यों होता?
ये बेरुखी, उसकी मोहब्बत का पता देती है।
क्या हसीन इत्तेफाक़ था तेरी गली में आने का,
किसी काम से आये थे और किसी काम के ना रहे।
आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ,
एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में।
अगर शरर है तो भड़के जो फूल है तो खिले,
तरह तरह की तलब तेरे रंग-ए-लब से है।
लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे,
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे।
इश्क़ इक मीर भारी पत्थर है,
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है।
इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में,
या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर।
उसकी मोहब्बत लाख छुपाई ज़माने से मैंने,
मगर आँखों में तेरे अक्स को छुपा न सका।
एक शब गुजरी थी तेरे गेसुओं के छाँव में,
उम्र भर बेख्वाबियाँ मेरा मुकद्दर हो गयीं।
मुझ में लगता है कि मुझ से ज्यादा है वो,
खुद से बढ़ कर मुझे रहती है जरुरत उसकी।
इश्क़ तेरी इन्तेहाँ इश्क़ मेरी इन्तेहाँ,
तू भी अभी ना-तमाम मैं भी अभी ना-तमाम।
ये क्या कि वो जब चाहे मुझे छीन ले मुझसे,
अपने लिए वो शख़्स तड़पता भी तो देखूँ।
संभाले नहीं संभलता है दिल,
मोहब्बत की तपिश से न जला,
इश्क तलबगार है तेरा चला आ,
अब ज़माने का बहाना न बना।
अपने हाथों से यूँ चेहरे को छुपाते क्यूँ हो,
मुझसे शर्माते हो तो सामने आते क्यूँ हो,
तुम भी मेरी तरह कर लो इकरार-ए-वफ़ा अब,
प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यूँ हो?
वो मुझ तक आने की राह चाहता है,
लेकिन मेरी मोहब्बत का गवाह चाहता है,
खुद आते जाते मौसमों की तरह है,
और मुझसे मोहब्बत की इन्तहा चाहता है।
रोज साहिल से समंदर का नजारा न करो,
अपनी सूरत को शबो-रोज निहारा न करो,
आओ देखो मेरी नजरों में उतर कर खुद को,
आइना हूँ मैं तेरा मुझसे किनारा न करो।
नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो,
मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो,
मैं अपनी सोच को तेरी गली में छोड़ आया हूँ,
मेरे वजूद को ख़्वाबों के घर में रहने दो।
ये न समझ कि मैं भूल गया हूँ तुझे,
तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी है,
मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत,
सच्चाई मेरी वफाओं में आज भी है।
ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा,
मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा,
तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज़ रखे हैं,
तुम्हारी नफरतों की पीर को ज़िंदा नहीं रखा।