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Aankhein Shayari – Two Lines Shayari

मेरे होठों ने हर बात छुपा कर रखी थी,
आँखों को ये हुनर कभी आया ही नहीं।

डूब कर तेरी झील सी गहरी आँखों में,
एक मयकश भी शायद पीना भूल जाए।

एक नजर फेर ले जीने की इजाजत दे दे,
रुठने वाले वो पहली सी मोहब्बत दे दे।

जो उनकी आँखों से बयान होते हैं ,
वो लफ्ज शायरी में कहाँ होते हैं ।

तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली मैखाने की,
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते ।

कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
कुछ मुझे भी खराब होना था।

अदा निगाहों से होता है फ़र्ज़-ए-गोयाई,
जुबान की हद से जब शौके-ए-बयां गुजरता है।

तुम्हारी एक निगाह से कतल होते हैं लोग “फ़राज़”
एक नज़र हम को भी देख लो के तुम बिन ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती।

जाने क्यों डूब जाता हूँ हर बार इन्हें देख कर,
इक दरिया हैं या पूरा समंदर हैं तेरी आँखें।

आँखों पर तेरी निगाहों ने दस्तख़त क्या दिए,
हमने साँसों की वसीयत तुम्हारे नाम कर दी।

लोग कहते हैं जिन्हें नील-कंवल वो तो क़तील,
शब् को इन झील सी आँखों में खिला करते हैं।

ये मुस्कराती हुई ऑंखें जिन में रक्स करती है बहार,
शफक की, गुल की , बिजलीओं की शोखियां लिए हुए।

शोर न कर धड़कन ज़रा, थम जा कुछ पल के लिए,
बड़ी मुश्किल से मेरी आखों में उसका ख्वाब आया है।

शरमा कर झुक रही है हमारी निगाहें,
कहा था ना कि इतने करीब मत आओ।

नज़र जिसकी तरफ करके निगाहें फेर लेते हो,
क़यामत तक उस दिल की परेशानी नहीं जाती।

निगाह-ए-लुत्फ़ से एक बार मुझको देख लेते हैं,
मुझको बेचैन करना जब उन्हें मंजूर होता है ।

तेरी निगाह ने क्या कह दिया खुदा जाने,
उलट कर रख दिए बदह्काशों ने पैमाने।

नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली,
रहे दोनों खामोश पर बात कर ली,
मोहब्बत की फिजा को जब खुश पाया,
इन आंखों ने रो रो के बरसात कर ली।

क्या पूछते हो शोख निगाहों का माजरा,
दो तीर थे जो मेरे जिगर में उतर गए।

ऐ समंदर मैं तुझसे वाकिफ हूँ मगर इतना बताता हूँ,
वो ऑंखें तुझसे गहरी हैं जिनका मैं आशिक हूँ।

डूबा हुआ हूँ ना निकल पाऊँगा मैं कभी,
ख़ूबसूरत मुस्कुराहट और आँखों से तेरी।

ये कहो, वो कौन सी बात ज़ुबाँ तक आते-आते रूक गयी,
ये बताओ, उस बात की चुप्पी से तुम्हारी नज़रें क्यूँ झुक गयी।

उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब।

सौ तीर जमाने के एक तीर-ए-नज़र तेरा,
अब क्या कोई समझेगा दिल किसका निशाना है।

चिरागों को आंखों में महफूज रखना,
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी,
मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी,
किसी मोड़ पर, फिर मुलाकात होगी।

आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं,
हर वक्त आपको ही बस याद करती हैं,
जब तक न कर ले दीदार आपका,
तब तक वो आपका इंतजार करती हैं।

हम भटकते रहे थे अनजान राहों में,
रात दिन काट रहे थे यूँ ही बस आहों में,
अब तम्मना हुई है फिर से जीने की हमें,
कुछ तो बात है सनम तेरी इन निगाहों में।

आपने नज़र से नज़र जब मिला दी,
हमारी ज़िन्दगी झूम कर मुस्कुरा दी,
जुबान से तो हम कुछ भी न कह सके,
पर आँखों ने दिल की कहानी सुना दी।

सामने ना हो तो तरसती हैं आँखें,
याद में तेरी बरसती हैं आँखें,
मेरे लिए नहीं इनके लिए ही आ जाओ,
आपका बेपनाह इंतज़ार करती हैं आँखें।

निगाहों पर निगाहों के पहरे होते हैं,
इन निगाहों के घाव भी इतने गहरे होते हैं,
न जाने क्यों कोसते हैं लोग दीवानों को,
बर्बाद करने बाले तो वो हसीन चेहरे होते हैं।

समंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं,
तेरी आँखों को पड़ता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं,
तुम्ह्रारा नाम लिखने कि इजाजत छीन गयी जब से,
कोई भी लफ्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं।

नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं,
हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं,
कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें,
सुना है वो आँखों से अपना बना लेते हैं।

तुम्हारी प्यार भरी निगाहों को देखकर
हमें कुछ ऐसा गुमान होता है,
देखो ना मुझे इस कदर मदहोश नज़रों से
कि दिल बेईमान होता है।

ना जाने कौन सा जादू है तेरी बाहों में,
शराब सा नशा है तेरी आँखों में,
तेरी तलाश में तेरे मिलने की आस लिए,
दुआऐं मांगता फिरता हूँ मैं दरगाहों में।

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